# अमृत धारा तैल #
असर ऐसी की दर्द घुटने टेक दे
# प्रयोग विधि व विवरण #
• सिरदर्द में दवा को आँख के बगल में लगाकर उँगली पर दवा को मसल कर सुँचें।
• आँख में दर्द या लाली छाली, धूध, रतौंधी, काँची का निकलना या आँखो में खुजलाहट होने पर दवा को आँख के बगल में लगाकर दवा को सूखें।
• कान दर्द में दवा को कान के बाहरी भाग पर चारों तरफ गाढ़ा कर के लेप दें और उँगली पर दवा मसल कर सूँधें। कान बहता हो तो दस बूंद दवा और दस बूंद सरसों का तेल, एक जावा लहसून तीनों को गर्म करके दवा को ठंडा होने पर कान को साफ करके एक सप्ताह तक कान में दो बूंद करके डालें।
• दाँत दर्द में दवा- गाल पर लेप कर दवा को उँगली पर मसल कर सूँचें और कीड़ा लगने पर दवा को रूई में भिगोंकर दाँत में जहाँ गड्ढा हो वहाँ रखें। थोड़ा सा दवा गाल पर लगाकर 5 मिनट मुँह को बन्द करके सुसुम गर्म पानी में कुल्ला करें।
• किसी प्रकार के दर्द जैसे कि मारपीट, चोट, मोच, वातरस, गेठिया, कनकनी, झुनझुनी, जैसे दर्दों में दवा गाढ़ा लेपकर दस मिनट के बाद मालिश करके 15 दिन सुबह शाम सेंक दें।
• बच्चों को हावा डावा निमोनिया या सर्दी कफ होने पर दवा से दुगुना सरसों का तेल तथा चार दाना लहसुन डाल कर गर्म करके सुसुम गर्म दवा से बच्चों के गर्दन से निचे पुरे शरीर पर मालिश करें दिन में तीन बार।
• किसी प्रकार के चर्मरोग दिनाय, नोचनी, कलकल, एक्जीमा, फोड़ा खर्रा, अपरस जैसे बिमारियों में दवा गर्म करके लगाये तथा साबुन एवं सर्फ से 15 दिन तक परहेज करें।